जमशेदपुर.: जमशेदपुर सहित कोल्हान के विभिन्न हिस्सों में शनिवार को सुबह 9:20 बजे भूकंप का झटका महसूस किया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.3 आंकी गई है। अचानक जमीन में कंपन से थोड़ी देर के लिए लोग समझ नहीं पाए कि माजरा क्या है। घर में चौकी, पलंग, टीवी, पंखे व अन्य सामान हिलते नजर आए तो भूकंप का संदेह हुआ। कुछ इलाके में लोग मकान और फ्लैट बाहर भी निकल आए लेकिन कुछ सेकेंड में धरती हिलना बंद हो गया तो लोगों ने राहत की सांस ली।
झारखंड में झटके के मतलब
जियोलॉजिस्ट के अनुसार भूकंप का झटका झारखंड के लिए खतरे का संकेत हैं। विशेषकर रांची और सिंहभूम क्षेत्र के लिए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर लगभग 4.3 थी। इसका मतलब हुआ कि झारखंड स्टेबल जोन में नहीं है। अब यह क्षेत्र भी अनस्टेबल हो रहा है। पहले भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, पर वह माइल्ड होता था। इस बार काफी संवेदात्मक है, जो छोटानागपुर और आसपास क्षेत्र के भूगर्भ में होनेवाले हलचल की निशानी है। वैज्ञानिकों को माने तो करोड़ोंं सालों में झारखंड भूकंप से सुरक्षित जोन बन गया था, लेकिन काफी तेजी से जमीन की खुदाई कर और बढ़ते औद्योगिकी करण से यह फिर से भूकंप प्रभावित क्षेत्र में बदल सकता है। अगर आप जमीन को अंदर से खोखला करेंगे व धरती पर उसके अनुपात से अधिक वजन डालेंगे तो भूकंप जैसा दुष्परिणाम झेलना पड़ेगा।
सबसे पहला सुनामी यहीं आया था
इस क्षेत्र में पहला भूकंप आने की जांच के लिए वर्ष 2006 में भारत, जापान और पोलैंड के वैज्ञानिकों ने शोध किया था। वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व भारत के भू वैज्ञानिक रजत मजूमदार कर रहे थे। वैज्ञानिकों ने चाईबासा फॉर्मेशन अभियान के दौरान वहां के चट्टानों की जांच की थी। जांच स्थल पर दो से चार किलोमीटर मोटी सेडिमेंटरी (अवसादी) चट्टानों पर मरोड़ के निशान पाए गए थे। डॉ प्रियदर्शी के अनुसार, अवसादी चट्टानों में यह मरोड़ तेज भूकंप के आने पर धरती के सरकने से ही संभव है।